हरेला पर्व “धरती माता” के उपकारों को नमन कर उसके आंचल को हरा भरा करने का है_सीडीओ




*मेरो पहाड़*
वृक्षारोपण महज फर्ज निभाने का पर्व नहीं बल्कि मनुष्यों व प्राणियों के जीवन को बचाने का है महानपर्व।
चंपावत। वृक्षारोपण फर्ज निभाने वाला कार्यक्रम नहीं बल्कि यह मनुष्य व प्राणी मात्र के अस्तित्व से जुड़ा ऐसा कार्यक्रम है जिसे पूरी आस्था व संस्कार के साथ जोड़ा नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब हम शुद्ध हवा पानी के लिए मोहताज हो जाएंगे। 16 जुलाई को आने वाले “हरेला” पर्व में एक पौधा हमे धरती में लाने वाली “मां” तथा एक पौधा हमे शरण देने वाली “धरती मां” के उपकारों को याद करने के लिए लगाए जाएंगे।यह बात मुख्य विकास अधिकारी डॉ जी एस खाती ने कहीं। उनका कहना था कि वृक्षारोपण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूली बच्चों की प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। ऐसे विद्यालय व महाविद्यालय जहां भूमि उपलब्ध है उन्हें पौध उपलब्ध किए जाएंगे। प्रतिवर्ष जून माह में समीक्षा की जाएगी कि रोपित पौधों में कितने सुरक्षित हैं? इसी के आधार पर मूल्यांकन करते हुए विद्यालयो को “प्रकृति मित्र” होने का प्रमाण पत्र देने के साथ प्रथम चार स्थानों में आने वाले विद्यालयों को रनिंग शील्ड दी जाएगी। सीडीओ का कहना है कि ऐसे विद्यालय, गांव के पवित्र स्थान, मंदिरो एवंअन्य स्थानों में 24 घंटे ऑक्सीजन देने वाले “पीपल” के पौधो का रोपण कर “ऑक्सीजन बैंक” तैयार किए जाएंगे। इसके लिए पौधों की उपलब्धता के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। हरेला पर्व पर प्रत्येक ग्राम पंचायत में लोग अपनी पेयजल योजना के जल स्रोत के आसपास ऊपरी ढाल में “उतिस” जैसे पानी के पोषक पौधों का रोपण किया जायेगा। इस कार्य में जल संस्थान सहयोग करेगा। इसके अलावा चंपावत, टनकपुर, लोहाघाट, पाटी, बाराकोट आदि स्थानों में “स्मृति पौध” भी लगाए जाएंगे।
जहां लोग अपने दिवंगत प्रियजनों की याद में पौध लगाएंगे ।
फोटो_सीडीओ डॉ जी एस खाती